परिवर्तन
जिस युग में हम जी रहे हैं उस युग लो परिभाषित करने हेतु किसी एक सार्थक शबद का प्रयोग किया जाए तो वह है - संक्रान्ति काल
प्राचीन व् मध्यकालीन इतिहास का अध्ययन करने के पश्चात हम पाते है की किस दीर्घावधि ने स्थायित्व कम दिया और परिवर्तन अधिक
आवश्यक नहीं हैं की यह परिवर्तन सदैव विधवंसक या विनाशकारी हो ।
विधावंस की इस नीव में हमने कई नए विचारों को जनम दिया है ।
लेखक > कुशाल सिंह
प्रेषक > अवधेश भुंवालिया
जिस युग में हम जी रहे हैं उस युग लो परिभाषित करने हेतु किसी एक सार्थक शबद का प्रयोग किया जाए तो वह है - संक्रान्ति काल
प्राचीन व् मध्यकालीन इतिहास का अध्ययन करने के पश्चात हम पाते है की किस दीर्घावधि ने स्थायित्व कम दिया और परिवर्तन अधिक
आवश्यक नहीं हैं की यह परिवर्तन सदैव विधवंसक या विनाशकारी हो ।
विधावंस की इस नीव में हमने कई नए विचारों को जनम दिया है ।
लेखक > कुशाल सिंह
प्रेषक > अवधेश भुंवालिया