Thursday 14 February 2013

परिवर्तन

परिवर्तन
जिस युग में हम जी रहे हैं उस युग लो परिभाषित करने हेतु  किसी एक सार्थक शबद का प्रयोग किया जाए तो वह है - संक्रान्ति काल
प्राचीन व् मध्यकालीन इतिहास का अध्ययन करने के पश्चात हम पाते है की किस दीर्घावधि ने स्थायित्व कम दिया और परिवर्तन अधिक
आवश्यक नहीं हैं की यह परिवर्तन  सदैव विधवंसक या विनाशकारी हो ।
विधावंस की इस नीव में हमने कई नए विचारों  को जनम दिया है ।
लेखक > कुशाल  सिंह
प्रेषक > अवधेश भुंवालिया